बचपन
बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी | गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त ख़ुशी मेरी || सुभद्रा कुमारी चौहान की ये कविता , मेरी सबसे पसन्दीदा कविताओं में से एक है। अगर कोई मुझसे पूछे , तुम्हें जीवन का एक दौर वापस जीने का मौका मिले , तो तुम कौनसा दौर चुनोगी। मेरा जवाब होगा , बचपन । काश हमें ऐसा एक अवसर मिलता ! बीते पलों को हम वापस बुला तो नहीं सकते , पर हाँ उन्हें जी ज़रूर सकते हैं। रिक्रिएट कर सकते हैं। बचपन लौटकर नहीं आ सकता , पर बच्चों के ज़रिये दोबारा जिया ज़रूर जा सकता है। कई वजहों से हम अपने दैनंदिन जीवन में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बच्चों के साथ हम बहुत कम समय बिताते हैं। व्यवसाय और अन्य कई वजहों से हमारे संयुक्त परिवार बिखर रहे हैं। एकल हो रहे हैं। इससे बच्चे संयुक्त परिवार में मिलजुल कर रहने और पारिवारिक मूल्यों को सीखने , भावनाओं को समझने के अवसरों को गवा रहे हैं। इन्हीं वजहों से बच्चे खिन्नता के शिकार भी हो रहे हैं। इसका समाधान भी हम सबके पास है। यदि हम अपने व्यस्त जीवन से बच्चों के साथ थोड़ा-सा भी वक़्त बिताएं , उनके जीवन का हिस्सा बनें , ...